नई दिल्ली । दिल्ली विधानसभा चुनावों के नामांकन का मंगलवार यानी आज अंतिम दिन है । इससे पहले सोमवार रात कांग्रेस और भाजपा ने अपने उम्मीदवारों को अंतिम सूची को जारी कर दिया , लेकिन जिस तरह से उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने उम्मीदवार उतारे हैं , उसे लेकर कहा जा रहा है कि सभी दलों ने केजरीवाल को वॉक ओवर दे दिया है । जहां भाजपा केजरीवाल को हराने के लिए सांसद तक उतारने की बात कह रही थी , उसने केजरीवाल के सामने एक सामान्य उम्मीदवार को उतार दिया है । वहीं कांग्रेस ने भी कुछ ऐसा ही करते हुए एक सामान्य उम्मीदवार को केजरीवाल और भाजपा उम्मीदवार के सामने उतारा है । आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने तो इस सब पर तंज करते हुए कहा कि केजरीवाल से दोनों दल डर गए हैं , इसलिए बड़े बड़े दावे करने वाली भाजपा और कांग्रेस ने अंजान से उम्मीदवारों को सीएम केजरीवाल के सामने उतारा है । इससे साफ हो गया है कि दोनों दलों ने सरेंडर कर दिया है ।
बता दें कि नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल 2013 में शीला दीक्षित को हराकर मुख्यमंत्री बने थे । दूसरी बार 2015 में रिकॉर्ड मतों से जीतकर उन्हें दिल्ली की सत्ता फिर से संभाली । ऐसे में केजरीवाल फिर से इस सीट से उम्मीदवार हैं । केजरीवाल के खिलाफ नई दिल्ली सीट से भाजपा ने सुनील यादव को उतारा है तो कांग्रेस ने रोमेश सभरवाल को टिकट दिया है । दोनों ही नेता दिल्ली की राजनीति में इतने बड़े नाम नहीं है कि उन्हें केजरीवाल के सामने खड़ा किया जाता । इन्हें अज्ञात योद्धा की संज्ञा दी जा रही है । आम जनता भी पूछ रही है कि दोनों दलों ने ऐसे उम्मीदवार चुनकर क्या केजरीवाल को नई दिल्ली सीट से वॉकओवर दे दिया है?
असल में सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि भाजपा द्वारा बड़े बड़े दावे और सांसदों तक को चुनावी मैदान में उतराने के बयान देने के बाद उन्होंने केजरीवाल के खिलाफ भाजपा के युवा मोर्चे के नेता सुनील यादव को उम्मीदवार बनाया है । वहीं कांग्रेस ने एनएसयूआई के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रोमेश सभरवाल पर भरोसा जताया है ।
चलिए विस्तार से बताते हैं कि आखिर ये 'योद्धा 'कौन हैं । सबसे पहले बात करते हैं भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष सुनील यादव की । सुनील पेशे से वकील और सामाजिक कार्यकर्ता हैं । भारतीय जनता युवा मोर्चा में मंडल अध्यक्ष से अपने राजनीति सफर की शुरुआत करने वाले सुनील युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष व युवा मोर्चा के प्रदेश महासचिव चुने गए थे । युवा मोर्चा के अध्यक्ष बनने से पहले सुनील यादव दिल्ली भाजपा के सचिव भी रहे । वह DDCA में भी डायरेक्टर के तौर पर जुड़े रहे हैं । पिछली बार भाजपा ने केजरीवाल के खिलाफ युवा चेहरे पर भरोसा जताते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष नुपुर शर्मा को उतारा था, लेकिन उन्हें 26 हजार मतों से हार का मुंह देखना पड़ा था ।
कुछ यही हाल कांग्रेस का भी है । कांग्रेस ने भी केजरीवाल के खिलाफ युवा नेता पर ही दांव लगाया है । कांग्रेस ने एनएसयूआई के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रोमेश सभरवाल को केजरीवाल के सामने खड़ा किया है । सभरवाल प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा के करीबी तो अजय माकन के प्रतिद्वंदी माने जाते हैं । सभरवाल ने 2015 में इस सीट से कांग्रेस का टिकट मांगा था लेकिन पार्टी ने दिग्गज चेहरों पर ही भरोसा जताया था । पेशे से इंजीनियरिंग और एमबीए रोमेश सभरवाल 1981 से 1983 तक दिल्ली पॉलिटेक्निक छात्रसंघ के संयुक्त सचिव रहे और बाद में अध्यक्ष चुने गए थे । इसके बाद वह कांग्रेस की छात्र ईकाई एनएसयूआई से जुड़े 1987 में NSUI दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली ।